लेखनी कविता - डरता हूँ कामयाबी-ए-तकदीर देखकर - फ़िराक़ गोरखपुरी

72 Part

58 times read

0 Liked

डरता हूँ कामयाबी-ए-तकदीर देखकर / फ़िराक़ गोरखपुरी डरता हूँ कामियाबी-ए-तकदीर१ देखकर. यानी सितमज़रीफ़ी-ए-तकदीर२ देखकर. कालिब में३ रूह फूँक दी या ज़हर भर दिया. मैं मर गया ह्यात की४ तासीर५ देखकर. हैरां ...

Chapter

×